जेवर एयरपोर्ट पर हर यात्री दूर करेगा प्राधिकरणों की कंगाली
ग्रेटर नोएडा: कर्जे में डूबे प्राधिकरणों को जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट संजीवनी देगा। एयरपोर्ट से सालाना एक लाख छह हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। यह राजस्व एयरपोर्ट संचालन के छठवें साल से मिलना शुरू होगा। प्राधिकरणों के साथ प्रदेश सरकार का खजाना भी जेवर एयरपोर्ट से भरेगा।
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रति यात्री सबसे अधिक राजस्व देने वाला एयरपोर्ट होगा। एयरपोर्ट से प्रति यात्री 400.97 रुपये राजस्व मिलेगा। यह राजस्व नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण व प्रदेश सरकार में बंटेगा। जेवर एयरपोर्ट में इन चारों की हिस्सेदारी है। प्रदेश सरकार व नोएडा प्राधिकरण को सबसे अधिक फायदा होगा। एयरपोर्ट के लिए गठित कंपनी में प्रदेश सरकार व नोएडा प्राधिकरण दोनों की एयरपोर्ट में 37.5-37.5 फीसद की हिस्सेदारी है। जबकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व यमुना प्राधिकरण की 12.5-12.5 फीसद की हिस्सेदारी है।
एक लाख छह हजार करोड़ का मिलेगा राजस्व : जेवर एयरपोर्ट से व्यावसायिक उड़ान शुरू होने के छठवें साल से प्रदेश सरकार व प्राधिकरणों को राजस्व मिलना शुरू होगा। सालाना करीब एक लाख छह हजार करोड़ का राजस्व मिलेगा। यह राजस्व पचास लाख यात्री सालाना मिलने पर होगा। जेवर एयरपोर्ट से व्यावसायिक उड़ान 2023-24 से शुरू होंगी। शुरुआत में जेवर एयरपोर्ट को सालाना एक करोड़ बीस लाख यात्री मिलने का अनुमान लगाया गया है। अगर जेवर एयरपोर्ट पर यात्रियों की सालाना संख्या पचास लाख से अधिक होगी तो राजस्व भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा लीज रेंट के तौर पर भी 3.33 फीसद का राजस्व सालाना मिलेगा।
प्राधिकरणों की दूर होगी कंगाली : ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण कर्जे में डूबे पड़े हैं। प्राधिकरणों के लिए अपने संसाधनों से शहर के विकास को गति देना मुश्किल हो गया है। शहर का ढांचा चरमरा चुका है। हालांकि नोएडा प्राधिकरण की माली हालत अपेक्षाकृत बेहतर है।
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