एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी पर खर्च करनी होगी मोटी रकम
ग्रेटर नोएडा: जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दिल्ली व पड़ोसी जिलों से कनेक्टिविटी देने के लिए भारी भरकम रकम की जरूरत होगी। राइट्स ने एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी के लिए तीन विकल्प का सुझाव दिया है। इसमें सड़क, मेट्रो व रैपिड ट्रेन शामिल हैं। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कंपनी लिमिटेड( नियाल) के अधिकारी सर्वे एजेंसी राइट्स की प्राथमिक व्यवहारिक रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। इसके बाद इसे कंपनी बोर्ड में रखा जाएगा।
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से हवाई सेवाओं का संचालन 2023-24 से शुरू करने की योजना है। एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य चल रहा है। नवंबर अंत तक एयरपोर्ट के निर्माण के लिए कंपनी का चयन हो जाएगा। नियाल ने जेवर एयरपोर्ट को दिल्ली समेत आस पास के जिलों से कनेक्टिविटी देने के लिए राइट्स से सुझाव मांगे थे। कंपनी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में राइट्स ने सड़क, मेट्रो व रैपिड ट्रेन के वैकल्पिक मार्ग एवं उन पर आने वाली लागत का अनुमान दिया है। हालांकि अगर इन विकल्पों को अमलीजामा पहनाया जाता है तो इस पर भारी भरकम रकम खर्च करनी होगी।
एजेंसी ने कनेक्टिविटी यमुना एक्सप्रेस वे को अर्बन एक्सटेंशन रोड (यूईआर) द्वितीय से जोड़ने का सुझाव दिया है। यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) आठ से द्वारका के समीप, एनएच दस से रोहिणी व एनएच एक से बुराड़ी के समीप जुड़ता है। इस मार्ग के यमुना एक्सप्रेस वे से जुड़ने से पूरा इलाके की जेवर एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी हो जाएगी। करीब 82 किमी मार्ग का हिस्सा एलिवेटेड एवं जमीन पर होगा और निर्माण पर 3740 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। अन्य विकल्प में अणुव्रत मार्ग और महरौली बदरपुर रोड से यमुना एक्सप्रेस वे को जोड़ा जा सकता है। यह रूट करीब 78 किमी लंबा होगा। जिसमें करीब पचास किमी का निर्माण करना होगा। इसका अधिकांश भाग एलिवेटेड होगा।
इसके निर्माण पर 5445 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान एजेंसी ने लगाया है। दक्षिण दिल्ली को जेवर एयरपोर्ट से जोड़ने के लिए 82 किमी लंबे मार्ग का निर्माण करना होगा। भूमिगत व एलिवेटेड इस मार्ग के निर्माण पर ढाई हजार करोड़ रुपये खर्च होने का आकलन किया गया है। इसके अलावा राजस्थान के भरतपुर व अलीगढ़ से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए मौजूदा मार्गों के चौड़ीकरण का सुझाव दिया गया है। राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश से जेवर एयरपोर्ट को कनेक्टिविटी के लिए रैपिड ट्रेन बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके लिए भी राइट्स ने दो मार्ग सुझाए हैं। इसमें दिल्ली मेरठ व दिल्ली अलवर रूट शामिल किया गया है। पहला रूट 88 किमी का होगा। यह एलिवेटेड व भूमिगत होगा। इसमें केवल 26 किमी भूमिगत के निर्माण की जरूरत होगी और इस पर 8680 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है। वहीं दूसरा रूट अपेक्षाकृत लंबा होगा। 93 किमी लंबे इस रूट का एलिवेटेड हिस्सा 72 किमी व भूमिगत 21 किमी का होगा। इसमें 25 किमी लंबे एलिवेटेड रूट का निर्माण करना होगा। इस पर 35 सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे दिल्ली अलवर व दिल्ली पलवल रूट जेवर एयरपोर्ट से जुड़ जाएगा। मेट्रो के लिए पहले ही व्यवहारिक रिपोर्ट डीएमआरसी सौंपी चुकी है। एक्वा लाइन से जेवर एयरपोर्ट को मेट्रो से जोड़ने का विकल्प सुझाया गया है।
Courtesy:- https://epaper.jagran.com/epaper/12-oct-2019-241-noida-edition-noida-page-30.html#
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