जेवर एयरपोर्ट की बिड में विदेशी कंपनी ने कड़ी की प्रतिस्पर्धा


ग्रेटर नोएडा: देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट के तौर पर बनाए जा रहे जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए विदेशी कंपनी ने भी बिड डाली है। देश में वर्तमान में बन रहे एयरपोर्ट की बिड में अभी तक देशी कंपनियों ने ही रुचि ली थी। इसके साथ ही बिड में शामिल होने वाली कंपनियों की संख्या भी कम रही थी। लेकिन जेवर एयरपोर्ट की बिड में विदेशी कंपनी के आने से भारतीय कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा कड़ी हो गई है।

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए चार कंपनियों ने बिड डाली है। इसमें ज्यूरिख एयरपोर्ट के अलावा बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड और अडानी समूह शामिल हैं। हालांकि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड नियाल ने बिड करने वाली कंपनियों के नाम नहीं खोले हैं।

लेकिन जेवर एयरपोर्ट की बिड में विदेशी कंपनी के आने से प्रतिस्पर्धा कड़ी हो गई है। नवी मुंबई व गोवा समेत देश में बन रहे अन्य एयरपोर्ट की बिड में किसी विदेशी कंपनी ने रुचि दिखाई थी। अधिकारियों की माने तो इन एयरपोर्ट के लिए बिड करने वाली कंपनियों की संख्या भी अपेक्षाकृत काफी कम थी। नवी मुंबई में बन रहे एयरपोर्ट के लिए दो ही कंपनियों ने बिड की थी। जेवर एयरपोर्ट की तकनीकी बिड छह नवंबर को खोली जाएगी। जबकि फाइनेंशियल बिड 29 नवंबर को खुलेगी। कंपनी चयन का आधार एयरपोर्ट से प्रति यात्री सरकार को मिलने वाला राजस्व है। जो कंपनी प्रति यात्री सबसे अधिक राजस्व देने को तैयार होगी।

जेवर एयरपोर्ट उसकी झोली में जाएगा। ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए प्रति यात्री अधिकतम राजस्व के आधार पर कंपनी चयन वाला जेवर एयरपोर्ट देश का पहला है। प्रदेश सरकार को भी जेवर एयरपोर्ट से अच्छा राजस्व मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। पीपीपी आधार पर बनने वाले जेवर एयरपोर्ट के लिए चयनित कंपनी चालीस वर्ष तक इसका संचालन करेगी।

पर्यावरण संरक्षण की योजना तैयार कर नियाल को देगा डब्ल्यूआइआइ

ग्रेटर नोएडा : भारतीय वन्य जीव संस्थान जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट क्षेत्र के प्रभावित वन्य जीव एवं पर्यावरण के संरक्षण की योजना तैयार करेगा। संस्थान नवंबर अंत तक यह रिपोर्ट नोएडा इंटरनेशनल कंपनी लिमिटेड(नियाल) को सौंपेगा। संस्थान द्वारा तैयार योजना को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी नियाल की होगी। कंपनी इसके लिए पहले की भरोसा दे चुकी है।

भारतीय वन्य जीव संस्थान ने जेवर एयरपोर्ट के कारण क्षेत्र के वन्य जीव एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को लेकर अध्ययन किया है। संस्थान अंतरिम रिपोर्ट नियाल को सौंप चुका है। जबकि अंतिम रिपोर्ट नवंबर अंत तक मिलेगी। इसके साथ ही संस्थान एयरपोर्ट क्षेत्र में मौजूद वन्य जीव एवं पर्यावरण के संरक्षण की कार्य योजना भी तैयार करके नियाल को सौंपेगा। संस्थान ने एयरपोर्ट क्षेत्र के दस किमी के दायरे में अध्ययन किया है। नियाल का दावा है कि इस इलाके में किसी तरह का संरक्षित वन क्षेत्र या वन्य जीव नहीं है। लेकिन बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जाएगा। काले हिरण, सारस समेत पक्षियों काभी बसेरा है। एयरपोर्ट बनने से उनके प्राकृतिक आवास प्रभावित होंगे। इसलिए संरक्षण की योजना तैयार कर उसके क्रियान्वित किया जाएगा। नियाल का कहना है कि एयरपोर्ट के लिए कम से कम पेड़ों को काटा जाए। इसलिए विभाग से उन पेड़ों की जानकारी मांगी गई है जिन्हें दूसरे इलाके में स्थानांतरित किया जा सकता है। एयरपोर्ट को चयनित कंपनी जब डीपीआर तैयार कर लेगी, उसके बाद परियोजना में आने वाले पेड़ों को काटने या दूसरी जगह लगाने का फैसला किया जाएगा।

Courtesy:- https://epaper.jagran.com/epaper/04-nov-2019-241-noida-edition-noida-page-17-page-1.html#

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